Saturday, 2 July 2016

तुलसी कौन थी?

*तुलसी कौन थी?*

तुलसी एक लड़की थी जिसका नाम
वृंदा था राक्षस कुल में उसका जन्म हुआ था बचपन से ही भगवान विष्णु
जी की भक्त थी.बड़े ही प्रेम से भगवान की सेवा,पूजा किया करती थी.जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षसकुल में दानव राज जलंधर से हो गया। जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ
था.
वृंदा बड़ी ही पतिव्रता स्त्री थी सदा अपने पति की सेवा किया करती थी.
एक बार देवताओ और दानवों में युद्ध हुआ जब जलंधर युद्ध पर जाने लगे तो वृंदा ने कहा -
स्वामी आप युद्ध पर जा रहे है आप
जब तक युद्ध में रहेगे में पूजा में बैठकर आपकी जीत के लिये
अनुष्ठान करुगी,और जब तक आप
वापस नहीं आ जाते में अपना संकल्प
नही छोडूगी। जलंधर तो युद्ध में चले गये,और वृंदा व्रत का संकल्प लेकर
पूजा में बैठ गयी,उनके व्रत के प्रभाव
से देवता भी जलंधर को ना जीत सके सारे देवता जब हारने लगे तो भगवान विष्णु जी के पास गये।

सबने भगवान से प्रार्थना की तो भगवान कहने लगे कि – वृंदा मेरी परम भक्त है में उसके साथ छल नहीं कर सकता ।
फिर देवता बोले - भगवान दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं है अब आप
ही हमारी मदद कर सकते है।

भगवान ने जलंधर का ही रूप रखा और वृंदा के महल में पँहुच गये जैसे
ही वृंदा ने अपने पति को देखा, वे तुरंत पूजा मे से उठ गई और उनके चरणों को छू लिए,जैसे ही उनका संकल्प टूटा,युद्ध में देवताओ ने जलंधर को मार दिया और उसका सिर काटकर अलग कर दिया,उनका सिर वृंदा के महल में गिरा जब वृंदा ने
देखा कि मेरे पति का सिर तो कटा पडा है तो फिर ये जो मेरे सामने खड़े है ये कौन है?

उन्होंने पूँछा - आप कौन हो जिसका स्पर्श मैने किया, तब भगवान अपने रूप में आ गये पर वे कुछ ना बोल सके,वृंदा सारी बात समझ गई, उन्होंने भगवान को श्राप दे दिया आप पत्थर के हो जाओ,भगवान तुंरत पत्थर के हो गये।

सभी देवता हाहाकार करने लगे
लक्ष्मी जी रोने लगे और
प्रार्थना करने लगे यब वृंदा जी ने भगवान को वापस वैसा ही कर दिया और अपने पति का सिर लेकर वे
सती हो गयी।

उनकी राख से एक पौधा निकला तब
भगवान विष्णु जी ने कहा –आज से
इनका नाम तुलसी है,और मेरा एक रूप इस पत्थर के रूप में रहेगा जिसे शालिग्राम के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जायेगा और में
बिना तुलसी जी के भोग
स्वीकार नहीं करुगा। तब से
तुलसी जी कि पूजा सभी करने
लगे। और तुलसी जी का विवाह
शालिग्राम जी के साथ कार्तिक मास में
किया जाता है.देव-उठावनी एकादशी के दिन इसे तुलसी विवाह के रूप में
मनाया जाता है !

Thursday, 30 June 2016

शंखराजः

शंखराजः–
(कहानी)

एक थे पंडित जी! नाम था सज्जनप्रसाद, सज्जन और सदाचारी भी थे और ईश्वर-भक्त भी किन्तु धर्म का कोई विज्ञान सम्मत स्वरूप भी है, यह वे न जानते थे।

प्रतिदिन प्रातःकाल पूजा समाप्त करके पंडित जी शंख बजाते। वह आवाज सुनते ही पड़ौस का गधा किसी गोत्र-बन्धु की आवाज समझकर स्वयं भी रेंक उठता। पंडित जी प्रसन्न हो उठते कि यह कोई पूर्व जन्म का महान तपस्वी और भक्त था। एक दिन गधा नहीं चिल्लाया, पंडित जी ने पता लगाया। मालूम हुआ कि गधा मर गया। गधे के सम्मान में उन्होंने अपना सिर घुटाया और विधिवत तर्पण किया। शाम को वे बनिये की दुकान कुछ सौदा लेने गये। बनिये को शक हुआ- महाराज! आज यह सिर घुटमुन्ड कैसा?” “अरे भाई शंखराज की इहलीला समाप्त हो गई है।”

बनिया पंडित का यजमान था, उसने भी अपना सर घुटा लिया। बात जहाँ तक फैलती गई, लोग अपने सिर घुटाते गये। छूत बड़ी खराब होती है। एक सिपाही बनिये के यहाँ आया उसने तमाम गाँव वालों को सर मुड़ाये देखा- पता चला शंखराज जी महाराज नहीं रहे, तो उसने भी सिर घुटाया। धीरे-धीरे सारी फौज सिर-सपाट हो गई।

अफसरों को बड़ी हैरानी हुई। उन्होंने पूछा- भाई बात क्या हुई। पता लगाते-लगाते पंडित जी के बयान तक पहुँचे और जब मालूम हुआ कि शंखराज कोई गधा था, तो मारे शर्म के सबके चेहरे झुक गये।

एक अफसर ने सैनिकों से कहा- ‘‘ऐसे अनेक अन्ध-विश्वास समाज में केवल इसलिये फैले हैं कि उनके मूल का पता नहीं है। धर्म परम्परावादी नहीं, सत्य की प्रतिष्ठा के लिये है, वह सुधार और समन्वय मार्ग है। उसे ही मानना चाहिये।”
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कल्पवृक्ष

।। कल्पवृक्ष ।।

''पापा चाय''
स्नेहा के इन शब्दों से जैसे पापा की तंद्रा भंग हुई।

बगीचे में पौधों को पानी देते हुए वे स्नेहा के बारे में ही सोच रहे थे। अच्छा-सा घर, वर देखकर शादी तय तो कर दी है उन्होंने, लेकिन उनकी सुंदर, सुशील गुड़िया, जो घर-परिवार और दोस्तों सभी में बहुत प्रिय है, उसे जैसे किस्मत के ही हवाले कर रहे हों, ऐसा उन्हें लग रहा था। यद्यपि अपनी ओर से पूर्णत: निश्चिंत होने तक जानकारी ली थी उन्होंने वर पक्ष की, किंतु फिर भी. . .

इस 'फिर भी' को एक पिता ही समझ सकता है शायद. . .।

उन्होंने बहुत प्यार से स्नेहा की तरफ़ देखा, उसकी बड़ी-बड़ी आँखों में कुछ अजीब-सा भाव देखा आज और पूछ ही लिया, `''तू. . .। खुश तो है ना बेटा?''

''हाँ पापा।'' स्नेहा ने संक्षिप्त-सा उत्तर दिया।
फिर स्नेहा ने ही बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ''पापा ये पेड़ हम यहाँ से उखाड़ कर पीछे वाले बगीचे में लगा दें तो? ''

पापा कुछ असमंजस में पड़ गए, बोले, ''बेटे ये चार साल पुराना पेड़ है अब कैसे उखड़ेगा और अगर उखड़ भी गया तो दुबारा नई जगह, नई मिट्टी को बर्दाश्त कर पाएगा? कहीं मुरझा गया तो?''

स्नेहा ने एक मासूम-सा सवाल किया, ''पापा एक पौधा और भी तो आपके आँगन का नए पारिवेश में जा रहा है ना, नई मिट्टी, नई खाद में क्या ढल पाएगा? क्या पर्याप्त रोशनी होगी आपके पौधे के पास? आप तो महज़ चार सालों की बात कर रहे हैं ये तो बाईस साल पुराना पेड़ है ना. . .।''

कहकर स्नेहा अंदर जाने लगी इधर पापा सोच रहे थे, ऐसी शक्ति पूरी क़ायनात में सिर्फ़ नारी के पास है जो यह पौधा नए परिवेश में भी ना सिर्फ़ पनपता है, बल्कि, खुद नए माहौल में ढलकर औरों को सब कुछ देता है, ताउम्र औरों के लिए जीता है। क्या सच में, यही 'कल्पवृक्ष' होता है?

लड़कियां

इंसान:- भगवान लड़कियां
हमेशा प्यारी होती हैं पर
बीवी क्यों इतनी खतरनाक
होती है

भगवान:- क्योंकि लड़कियां
मै बनाता हूँ और उन्हें बीवी
तुम बनाते हो, तुम्हारी समस्या।
तुम ही झेलो

Wednesday, 22 June 2016

कर्मों की आवाज

"कर्मों की आवाज़
      शब्दों से भी ऊँची होती है...!
"दूसरों को नसीहत देना
      तथा आलोचना करना.
             सबसे आसान काम है।
सबसे मुश्किल काम है
        चुप रहना और
              आलोचना सुनना...!!"
यह आवश्यक नहीं कि
       हर लड़ाई जीती ही जाए।
आवश्यक तो यह है कि
   हर हार से कुछ सीखा जाए ।।
          
सुप्रभात

Monday, 20 June 2016

1 जुलाई से बदल जाएंगे रेलवे के ये 10 नियम

1 जुलाई से बदल जाएंगे रेलवे के ये 10 नियम:
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अगर आप रेलवे में सफर करते हैं तो जरा इस खबर को ध्यान से पढ़ें। अगर आपने इस खबर को मिस कर दिया तो आपको परेशानी हो सकती है। दरअसल 1 जुलाई से रेलवे में कई बदलाव होने वाले हैं। अगर आप ने इस बदलावों के बारे में नहीं जाना तो आपकी मुश्किल बढ़नी तय हैं।

जानिए क्या है वो अहम बदलाव...

१ . वेटिंग लिस्ट का झंझट खत्म हो जाएगा। रेलवे की ओर से चलाई जाने वाली सुविधा ट्रेनों में यात्रियों को कन्फर्म टिकट की सुविधा दी जाएगी।

२ . 1 जुलाई से तत्काल टिकट कैंसिल करने पर 50 फीसदी राशी वापस किए जाएंगे।

३ . 1 जुलाई से तत्काल टिकट के नियमों में बदलाव हुआ है। सुबह 10 से 11 बजे तक एसी कोच के लिए टिकट बुकिंग होगी जबकि 11 से 12 बजे तक स्लीपर कोच की बुकिंग होगी।

४ . 1 जुलाई से राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में पेपरलेस टिकटिंग की सुविधा शुरु हो रही हैं। इस सुविधा के बाद शताब्दी और राजधानी ट्रेनों में पेपर वाली टिकट नहीं मिलेगी, बल्कि आपके मोबाईल पर टिकट भेजा जाएगा।

५ . जल्द ही रेलवे अगल-अगल भाषाओं में टिकटिंग की सुविधा शुरु होने जा रही हैं। अभी तक रेलवे में हिंदी और अंग्रेजी में टिकट मिलती है, लेकिन नई वेबसाइट के बाद अब अलग-अगल भाषाओं में टिकट की बुकिंग की जा सकेगी।

६ . रेलवे में टिकट के लिए हमेशा से मारामारी होती रहती है। ऐसे में 1 जुलाई से शताब्दी और राजधानी ट्रेनों में कोचों की संख्या बढ़ाई जाएगी।

७ . भीड़भाड़ के दिनों में रेलगाड़ी में बेहतर सुविधा देने के लिए वैकल्पित रेलगाड़ी समायोजन प्रणाली, सुविधा ट्रेन शुरु करने और महत्वपूर्ण ट्रेनों की डुप्लीकेट गाड़ी चलाने की योजना है।

८ . रेल मंत्रालय ने 1 जुलाई से राजधानी, शताब्दी, दुरंतो और मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के तर्ज पर सुविधा ट्रेन चलाई जाएगी।

९ . 1 जुलाई से रेलवे प्रीमियम ट्रेनों को पूरी तरह से बंद करने जा रहा है।

१० . सुविधा ट्रेनों में टिकट वापसी पर 50 फीसदी किराए की वापसी होगी। इसके अलावा एसी-2 पर 100 रुपए, एसी-3 पर 90 रुपए, स्लीपर पर 60 रुपए प्रति यात्री कटेंगे।
जन हित में जारी

ट्रेन में बेफिक्र होकर सोएं, डेस्टिनेशन स्टेशन आने पर जगा देगा रेलवे :
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अगर आप रात के समय ट्रेन में सफर कर रहे हैं। रात में ही आपका डेस्टिनेशन स्टेशन आएगा, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। बेफिक्र होकर सोएं, क्योंकि अब आपका डेस्टिनेशन स्टेशन आने से पहले जगाने की जिम्मेदारी रेलवे की होगी। लेकिन इसके लिए आपको 139 पर फोन कर वेकअप कॉल-डेस्टिनेशन अलर्ट सुविधा अपने पीएनआर पर एक्टिवेट करवाना होगी।

ट्रेन में रात के समय सफर करने वाले यात्रियों को डेस्टिनेशन स्टेशन आने से पहले उठने में काफी परेशानी आती है। कई बार यात्री डेस्टिनेशन स्टेशन आने पर उठ नहीं पाते और ट्रेन आगे निकल जाती है। इससे बहुत परेशानी झेलना पड़ती है। इस परेशानी के निराकरण के लिए रेलवे ने वेकअप कॉल-डेस्टिनेशन अलर्ट सुविधा शुरू कर दी है। यह नई सुविधा कुछ ही दिन पहले ही शुरू हुई है, लेकिन प्रचार-प्रसार की कमी के कारण कई लोगों को इसकी जानकारी नहीं है।

➡ क्या है डेस्टिनेशन अलर्ट :

>इस सुविधा को डेस्टिनेशन अलर्ट नाम दिया गया है।

>सुविधा को एक्टिवेट करने पर डेस्टिनेशन स्टेशन आने से पहले ही मोबाइल पर अलार्म बजेगा।

>सुविधा को एक्टिवेट करने के लिए अलर्ट टाइप करने के बाद पीएनआर नंबर टाइप करना होगा और 139 पर सेंड करना होगा।

>139 पर कॉल करना होगा। कॉल करने के बाद भाषा चुने और फिर 7 डायल करें। 7 डायल करने के बाद पीएनआर नंबर डायल करना होगा। इसके बाद यह सेवा एक्टिवेट हो जाएगी

>इस सुविधा को वेकअप कॉल नाम दिया गया है।

➡ रिसीव होने तक बजेगी मोबाइल की घंटी

इस सेवा को एक्टिवेट करने पर स्टेशन आने से पहले मोबाइल की घंटी बजेगी। यह घंटी तब-तक बजती रहेगी, जब तक आप फोन रिसीव नहीं करेंगे। फोन रिसीव होने पर यात्री को सूचित किया जाएगा कि स्टेशन आने वाला है।

Thursday, 16 June 2016

full form

*Do we know actual full form of some words???*
*News paper =*
_North East West South past and present events report._
*Chess =*
_Chariot, Horse, Elephant, Soldiers._
*Cold =*
_Chronic Obstructive Lung Disease._
*Joke =*
_Joy of Kids Entertainment._
*Aim =*
_Ambition in Mind._
Date =
_Day and Time Evolution._
*Eat =*
_Energy and Taste._
*Tea =*
_Taste and Energy Admitted._
*Pen =*
_Power Enriched in Nib._
*Smile =*
_Sweet Memories in Lips Expression._

*SIM =*
_Subscriber Identity Module_

*etc. =*
_End of Thinking Capacity_
*OK =*
_Objection Killed_

*Or =*
_Orl Korec (Greek Word)_

*Bye =*♥
_Be with you Everytime._

*