Wednesday 14 September 2016

पापा देखो मेंहदी वाली

पापा देखो मेंहदी वाली
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मुझे मेंहदी लगवानी है

"पाँच साल की बेटी बाज़ार में
बैठी मेंहदी वाली को देखते ही
मचल गयी...

"कैसे लगाती हो मेंहदी "
पापा नें सवाल किया...

"एक हाथ के पचास दो के सौ ...?
मेंहदी वाली ने जवाब दिया.

पापा को मालूम नहीं था मेंहदी
लगवाना इतना मँहगा हो गया है.

"नहीं भई एक हाथ के बीस लो
वरना हमें नहीं लगवानी."

यह सुनकर बेटी नें मुँह फुला लिया.

"अरे अब चलो भी ,
नहीं लगवानी इतनी मँहगी मेंहदी"

पापा के माथे पर लकीरें उभर आयीं .

"अरे लगवाने दो ना साहब..
अभी आपके घर में है तो
आपसे लाड़ भी कर सकती है...

कल को पराये घर चली गयी तो
पता नहीं ऐसे मचल पायेगी या नहीं.
तब आप भी तरसोगे बिटिया की
फरमाइश पूरी करने को...

मेंहदी वाली के शब्द थे तो चुभने
वाले पर उन्हें सुनकर पापा को
अपनी बड़ी बेटी की याद आ गयी..?

जिसकी शादी उसने तीन साल पहले
एक खाते -पीते पढ़े लिखे परिवार में की थी.

उन्होंने पहले साल से ही उसे छोटी
छोटी बातों पर सताना शुरू कर दिया था.

दो साल तक वह मुट्ठी भरभर के
रुपये उनके मुँह में ठूँसता रहा पर
उनका पेट बढ़ता ही चला गया

और अंत में एक दिन सीढियों से
गिर कर बेटी की मौत की खबर
ही मायके पहुँची.

आज वह छटपटाता है
कि उसकी वह बेटी फिर से
उसके पास लौट आये..?
और वह चुन चुन कर उसकी
सारी अधूरी इच्छाएँ पूरी कर दे...

पर वह अच्छी तरह जानता है
कि अब यह असंभव है.

"लगा दूँ बाबूजी...?,
एक हाथ में ही सही "

मेंहदी वाली की आवाज से
पापा की तंद्रा टूटी...

"हाँ हाँ लगा दो.
एक हाथ में नहीं दोनों हाथों में.

और हाँ, इससे भी अच्छी वाली हो
तो वो लगाना."

पापा ने डबडबायी आँखें
पोंछते हुए कहा
और बिटिया को आगे कर दिया.

जब तक बेटी हमारे घर है
उनकी हर इच्छा जरूर पूरी करे,
क्या पता आगे कोई इच्छा
पूरी हो पाये या ना हो पाये ।

ये बेटियां भी कितनी अजीब होती हैं
जब ससुराल में होती हैं
तब माइके जाने को तरसती हैं।

सोचती हैं
कि घर जाकर माँ को ये बताऊँगी
पापा से ये मांगूंगी
बहिन से ये कहूँगी
भाई को सबक सिखाऊंगी
और मौज मस्ती करुँगी।

लेकिन
जब सच में मायके जाती हैं तो
एकदम शांत हो जाती है
किसी से कुछ भी नहीं बोलती
बस माँ बाप भाई बहन से गले मिलती है।
बहुत बहुत खुश होती है।
भूल जाती है
कुछ पल के लिए पति ससुराल।

क्योंकि
एक अनोखा प्यार होता है मायके में
एक अजीब कशिश होती है मायके में।
ससुराल में कितना भी प्यार मिले
माँ बाप की एक मुस्कान को
तरसती है ये बेटियां।

ससुराल में कितना भी रोएँ
पर मायके में एक भी आंसूं नहीं
बहाती ये बेटियां

क्योंकि
बेटियों का सिर्फ एक ही आंसू माँ
बाप भाई बहन को हिला देता है
रुला देता है।

कितनी अजीब है ये बेटियां
कितनी नटखट है ये बेटियां
भगवान की अनमोल देंन हैं
ये बेटियां

हो सके तो
बेटियों को बहुत प्यार दें
उन्हें कभी भी न रुलाये
क्योंकि ये अनमोल बेटी दो
परिवार जोड़ती है
दो रिश्तों को साथ लाती है।
अपने प्यार और मुस्कान से।

हम चाहते हैं कि
सभी बेटियां खुश रहें
हमेशा भले ही हो वो
मायके में या ससुराल में।

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खुशकिस्मत है वो जो बेटी के बाप हैं, उन्हें भरपूर प्यार दे, दुलार करें और यही व्यवहार अपनी पत्नी के साथ भी करें क्यों की वो भी किसी की बेटी है और अपने पिता की छोड़ कर आपके साथ पूरी ज़िन्दगी बीताने आयी है।  उसके पिता की सारी उम्मीदें सिर्फ और सिर्फ आप से हैं।

अगर ये पोस्ट दिल को छु गया हो तो और लोगों के साथ शेयर करें। ये पोस्ट समर्पित है हर नारी को।

Friday 2 September 2016

राजकुमार

राजकुमार


पिता बेटी के सर पर
हाथ रख कर बोला-

मैं तेरे
लिए ऐसा पति
खोज
कर लाऊंगा जो तुझे बहुत
प्यार करे,

तेरी भवनाओं का सम्मान
करे,

तेरे दुख सुख को समझ सके,

तेरी आँखो में आँसू न आने दे,

तेरी हर छोटी छोटी

ख्वाइशों को पूरा कर सके।

बेटी ने पूछा : क्यो पापा?

पिता बोला : बेटा हर
बाप का सपना होता है
की
उसकी बेटी को राजकुमार
जैसा पति
मिले जो उसे बहुत प्यार दे

और

उसे हमेशा सुखी रखे।

बेटी :-तो पापा नाना
जी ने भी आपको
मम्मी का हाथ यही
सोचकर दिया
होगा न की आप भी
राजकुमार हो।

फिर आप मम्मी को हमेशा
क्यो रुलाते हो?,

कही बाहर भी नही ले
जाते

और प्यार भी नही करते

और

हमेशा चिल्लाते रहते हो
तो

क्या आप अच्छे वाले
राजकुमार नही निकले?

ये सुन पिता को एहसास
हुआ की
मुझे भी किसी ने
राजकुमार
समझ कर अपने कलेजे
का टुकड़ा दिया और मैं खुद
तो

राजकुमार बना रहा पर
अपनी
पत्नी को कभी
राजकुमारी नही समझा।

आज खुद बाप बंनने के बाद
एह्सास हुआ की अपने दिल
के टुकड़े को सही हाथ मे
नही सौपा

तो उसके दिल के टुकड़े हो
जायेगे जो कोई भी बाप
नही सहेगा।

इसलिए जैसा आप अपनी
बेटी
के लिए सोचते है वैसा ही
अपनी
पत्नी के लिए सोचिये।

आखिर वो भी किसी की
बेटी है,

किसी का आँख का तारा
है।

उसे दुख होगा तो उसके
पिता को
भी दुख होगा।

कृप्या कर अपनी घर की
औरतों को भी इज़्ज़त और
प्यार दिजिए वो
भी किसी की बेटी है।

प्रार्थना सभा के लिए प्रेरक प्रसंग

प्रार्थना सभा के लिए प्रेरक प्रसंग

जंगल में एक कौआ रहता था जो अपने जीवन से पूर्णतया संतुष्ट था.
लेकिन एक दिन उसने बत्तख देखी और सोचा : -
“यह बत्तख कितनी सफ़ेद है और मैं कितना काला हूँ. यह बत्तख तो संसार की सबसे ज़्यादा खुश पक्षी होगी....!”

उसने अपने विचार बत्तख को बतलाए.
बत्तख ने उत्तर दिया : - “दरअसल मुझे भी ऐसा ही लगता था कि मैं सबसे अधिक खुश पक्षी हूँ जब तक मैंने दो रंगों वाले तोते को नहीं देखा था. अब मेरा ऐसा मानना है कि तोता सृष्टि का सबसे अधिक खुश पक्षी है...!”
फिर कौआ तोते के पास गया.
तोते ने उसे समझाया : -
“मोर को मिलने से पहले तक मैं भी एक अत्यधिक खुशहाल ज़िन्दगी जीता था. परन्तु मोर को देखने के बाद मैंने जाना कि मुझमें तो केवल दो रंग हैं जबकि मोर में विविध रंग हैं...!”
तोते को मिलने के बाद
वह कौआ चिड़ियाघर में मोर से मिलने गया.
वहाँ उसने देखा कि उस मोर को देखने के लिए हज़ारों लोग एकत्रित थे.
सब लोगों के चले जाने के बाद
कौआ मोर के पास गया और बोला : -
“प्रिय मोर...!
तुम तो बहुत ही खूबसूरत हो.
तुम्हें देखने प्रतिदिन हज़ारों लोग आते हैं. पर जब लोग मुझे देखते हैं तो तुरन्त ही मुझे भगा देते हैं. मेरे अनुमान से तुम भूमण्डल के सबसे अधिक खुश पक्षी हो...!”
मोर ने जवाब दिया : -
“मैं हमेशा सोचता था
कि मैं भूमण्डल का सबसे खूबसूरत और खुश पक्षी हूँ.
परन्तु मेरी इस सुन्दरता के कारण ही मैं इस चिड़ियाघर में फँसा हुआ हूँ.
मैंने चिड़ियाघर का बहुत ध्यान से निरीक्षण किया है और तब मुझे यह अहसास हुआ कि इस पिंजरे में केवल कौए को ही नहीं रखा गया है.

इसलिए पिछले कुछ दिनों से मैं इस सोच में हूँ कि अगर मैं कौआ होता तो मैं भी खुशी से हर जगह घूम सकता था...!”
ये कहानी
इस संसार में हमारी परेशानियों का सार प्रस्तुत करती है.कौआ सोचता है
कि बत्तख खुश है, बत्तख को लगता है कि तोता खुश है, तोता सोचता है कि मोर खुश है जबकि मोर को लगता है कि कौआ सबसे खुश है.
*कथासार* : -
*दूसरों से तुलना हमें सदा दुखी करती है.*
दूसरों के लिए खुश होना चाहिए, तभी हमें भी खुशी मिलेगी.
*हमारे पास जो है उसके लिए हमें सदा आभारी रहना चाहिए.*
खुशी हमारे मन में होती है.हमें जो दिया गया है उसका हमें सर्वोत्तम उपयोग करना चाहिए
*हम दूसरों के जीवन का अनुमान नहीं लगा सकते. हमें सदा कृतज्ञ रहना चाहिए*.
जब हम जीवन के इस तथ्य को समझ लेंगें तो सदा प्रसन्न रहेंगें l