Wednesday 14 September 2016

पापा देखो मेंहदी वाली

पापा देखो मेंहदी वाली
      ••••••••••••••••••

मुझे मेंहदी लगवानी है

"पाँच साल की बेटी बाज़ार में
बैठी मेंहदी वाली को देखते ही
मचल गयी...

"कैसे लगाती हो मेंहदी "
पापा नें सवाल किया...

"एक हाथ के पचास दो के सौ ...?
मेंहदी वाली ने जवाब दिया.

पापा को मालूम नहीं था मेंहदी
लगवाना इतना मँहगा हो गया है.

"नहीं भई एक हाथ के बीस लो
वरना हमें नहीं लगवानी."

यह सुनकर बेटी नें मुँह फुला लिया.

"अरे अब चलो भी ,
नहीं लगवानी इतनी मँहगी मेंहदी"

पापा के माथे पर लकीरें उभर आयीं .

"अरे लगवाने दो ना साहब..
अभी आपके घर में है तो
आपसे लाड़ भी कर सकती है...

कल को पराये घर चली गयी तो
पता नहीं ऐसे मचल पायेगी या नहीं.
तब आप भी तरसोगे बिटिया की
फरमाइश पूरी करने को...

मेंहदी वाली के शब्द थे तो चुभने
वाले पर उन्हें सुनकर पापा को
अपनी बड़ी बेटी की याद आ गयी..?

जिसकी शादी उसने तीन साल पहले
एक खाते -पीते पढ़े लिखे परिवार में की थी.

उन्होंने पहले साल से ही उसे छोटी
छोटी बातों पर सताना शुरू कर दिया था.

दो साल तक वह मुट्ठी भरभर के
रुपये उनके मुँह में ठूँसता रहा पर
उनका पेट बढ़ता ही चला गया

और अंत में एक दिन सीढियों से
गिर कर बेटी की मौत की खबर
ही मायके पहुँची.

आज वह छटपटाता है
कि उसकी वह बेटी फिर से
उसके पास लौट आये..?
और वह चुन चुन कर उसकी
सारी अधूरी इच्छाएँ पूरी कर दे...

पर वह अच्छी तरह जानता है
कि अब यह असंभव है.

"लगा दूँ बाबूजी...?,
एक हाथ में ही सही "

मेंहदी वाली की आवाज से
पापा की तंद्रा टूटी...

"हाँ हाँ लगा दो.
एक हाथ में नहीं दोनों हाथों में.

और हाँ, इससे भी अच्छी वाली हो
तो वो लगाना."

पापा ने डबडबायी आँखें
पोंछते हुए कहा
और बिटिया को आगे कर दिया.

जब तक बेटी हमारे घर है
उनकी हर इच्छा जरूर पूरी करे,
क्या पता आगे कोई इच्छा
पूरी हो पाये या ना हो पाये ।

ये बेटियां भी कितनी अजीब होती हैं
जब ससुराल में होती हैं
तब माइके जाने को तरसती हैं।

सोचती हैं
कि घर जाकर माँ को ये बताऊँगी
पापा से ये मांगूंगी
बहिन से ये कहूँगी
भाई को सबक सिखाऊंगी
और मौज मस्ती करुँगी।

लेकिन
जब सच में मायके जाती हैं तो
एकदम शांत हो जाती है
किसी से कुछ भी नहीं बोलती
बस माँ बाप भाई बहन से गले मिलती है।
बहुत बहुत खुश होती है।
भूल जाती है
कुछ पल के लिए पति ससुराल।

क्योंकि
एक अनोखा प्यार होता है मायके में
एक अजीब कशिश होती है मायके में।
ससुराल में कितना भी प्यार मिले
माँ बाप की एक मुस्कान को
तरसती है ये बेटियां।

ससुराल में कितना भी रोएँ
पर मायके में एक भी आंसूं नहीं
बहाती ये बेटियां

क्योंकि
बेटियों का सिर्फ एक ही आंसू माँ
बाप भाई बहन को हिला देता है
रुला देता है।

कितनी अजीब है ये बेटियां
कितनी नटखट है ये बेटियां
भगवान की अनमोल देंन हैं
ये बेटियां

हो सके तो
बेटियों को बहुत प्यार दें
उन्हें कभी भी न रुलाये
क्योंकि ये अनमोल बेटी दो
परिवार जोड़ती है
दो रिश्तों को साथ लाती है।
अपने प्यार और मुस्कान से।

हम चाहते हैं कि
सभी बेटियां खुश रहें
हमेशा भले ही हो वो
मायके में या ससुराल में।

●●●●●●●●
खुशकिस्मत है वो जो बेटी के बाप हैं, उन्हें भरपूर प्यार दे, दुलार करें और यही व्यवहार अपनी पत्नी के साथ भी करें क्यों की वो भी किसी की बेटी है और अपने पिता की छोड़ कर आपके साथ पूरी ज़िन्दगी बीताने आयी है।  उसके पिता की सारी उम्मीदें सिर्फ और सिर्फ आप से हैं।

अगर ये पोस्ट दिल को छु गया हो तो और लोगों के साथ शेयर करें। ये पोस्ट समर्पित है हर नारी को।

Friday 2 September 2016

राजकुमार

राजकुमार


पिता बेटी के सर पर
हाथ रख कर बोला-

मैं तेरे
लिए ऐसा पति
खोज
कर लाऊंगा जो तुझे बहुत
प्यार करे,

तेरी भवनाओं का सम्मान
करे,

तेरे दुख सुख को समझ सके,

तेरी आँखो में आँसू न आने दे,

तेरी हर छोटी छोटी

ख्वाइशों को पूरा कर सके।

बेटी ने पूछा : क्यो पापा?

पिता बोला : बेटा हर
बाप का सपना होता है
की
उसकी बेटी को राजकुमार
जैसा पति
मिले जो उसे बहुत प्यार दे

और

उसे हमेशा सुखी रखे।

बेटी :-तो पापा नाना
जी ने भी आपको
मम्मी का हाथ यही
सोचकर दिया
होगा न की आप भी
राजकुमार हो।

फिर आप मम्मी को हमेशा
क्यो रुलाते हो?,

कही बाहर भी नही ले
जाते

और प्यार भी नही करते

और

हमेशा चिल्लाते रहते हो
तो

क्या आप अच्छे वाले
राजकुमार नही निकले?

ये सुन पिता को एहसास
हुआ की
मुझे भी किसी ने
राजकुमार
समझ कर अपने कलेजे
का टुकड़ा दिया और मैं खुद
तो

राजकुमार बना रहा पर
अपनी
पत्नी को कभी
राजकुमारी नही समझा।

आज खुद बाप बंनने के बाद
एह्सास हुआ की अपने दिल
के टुकड़े को सही हाथ मे
नही सौपा

तो उसके दिल के टुकड़े हो
जायेगे जो कोई भी बाप
नही सहेगा।

इसलिए जैसा आप अपनी
बेटी
के लिए सोचते है वैसा ही
अपनी
पत्नी के लिए सोचिये।

आखिर वो भी किसी की
बेटी है,

किसी का आँख का तारा
है।

उसे दुख होगा तो उसके
पिता को
भी दुख होगा।

कृप्या कर अपनी घर की
औरतों को भी इज़्ज़त और
प्यार दिजिए वो
भी किसी की बेटी है।

प्रार्थना सभा के लिए प्रेरक प्रसंग

प्रार्थना सभा के लिए प्रेरक प्रसंग

जंगल में एक कौआ रहता था जो अपने जीवन से पूर्णतया संतुष्ट था.
लेकिन एक दिन उसने बत्तख देखी और सोचा : -
“यह बत्तख कितनी सफ़ेद है और मैं कितना काला हूँ. यह बत्तख तो संसार की सबसे ज़्यादा खुश पक्षी होगी....!”

उसने अपने विचार बत्तख को बतलाए.
बत्तख ने उत्तर दिया : - “दरअसल मुझे भी ऐसा ही लगता था कि मैं सबसे अधिक खुश पक्षी हूँ जब तक मैंने दो रंगों वाले तोते को नहीं देखा था. अब मेरा ऐसा मानना है कि तोता सृष्टि का सबसे अधिक खुश पक्षी है...!”
फिर कौआ तोते के पास गया.
तोते ने उसे समझाया : -
“मोर को मिलने से पहले तक मैं भी एक अत्यधिक खुशहाल ज़िन्दगी जीता था. परन्तु मोर को देखने के बाद मैंने जाना कि मुझमें तो केवल दो रंग हैं जबकि मोर में विविध रंग हैं...!”
तोते को मिलने के बाद
वह कौआ चिड़ियाघर में मोर से मिलने गया.
वहाँ उसने देखा कि उस मोर को देखने के लिए हज़ारों लोग एकत्रित थे.
सब लोगों के चले जाने के बाद
कौआ मोर के पास गया और बोला : -
“प्रिय मोर...!
तुम तो बहुत ही खूबसूरत हो.
तुम्हें देखने प्रतिदिन हज़ारों लोग आते हैं. पर जब लोग मुझे देखते हैं तो तुरन्त ही मुझे भगा देते हैं. मेरे अनुमान से तुम भूमण्डल के सबसे अधिक खुश पक्षी हो...!”
मोर ने जवाब दिया : -
“मैं हमेशा सोचता था
कि मैं भूमण्डल का सबसे खूबसूरत और खुश पक्षी हूँ.
परन्तु मेरी इस सुन्दरता के कारण ही मैं इस चिड़ियाघर में फँसा हुआ हूँ.
मैंने चिड़ियाघर का बहुत ध्यान से निरीक्षण किया है और तब मुझे यह अहसास हुआ कि इस पिंजरे में केवल कौए को ही नहीं रखा गया है.

इसलिए पिछले कुछ दिनों से मैं इस सोच में हूँ कि अगर मैं कौआ होता तो मैं भी खुशी से हर जगह घूम सकता था...!”
ये कहानी
इस संसार में हमारी परेशानियों का सार प्रस्तुत करती है.कौआ सोचता है
कि बत्तख खुश है, बत्तख को लगता है कि तोता खुश है, तोता सोचता है कि मोर खुश है जबकि मोर को लगता है कि कौआ सबसे खुश है.
*कथासार* : -
*दूसरों से तुलना हमें सदा दुखी करती है.*
दूसरों के लिए खुश होना चाहिए, तभी हमें भी खुशी मिलेगी.
*हमारे पास जो है उसके लिए हमें सदा आभारी रहना चाहिए.*
खुशी हमारे मन में होती है.हमें जो दिया गया है उसका हमें सर्वोत्तम उपयोग करना चाहिए
*हम दूसरों के जीवन का अनुमान नहीं लगा सकते. हमें सदा कृतज्ञ रहना चाहिए*.
जब हम जीवन के इस तथ्य को समझ लेंगें तो सदा प्रसन्न रहेंगें l

Tuesday 30 August 2016

chatting in Office

2 Wives chatting in Office :

*Wife 1*:- I had a Fine evening, how was Urs???

*Wife 2* :- It was a disaster. My husband came home, ate his dinner in 3 mins & fell asleep in 2 mins. How was yours?

*Wife 1* : Oh mine was amazing ! My husband came home and took me out for a Romantic Dinner. After dinner we walked for an hour.
When we came home he lit the candles around the house. It was like a Fairy Tale !
---
At the same time, their Husbands are talking at work..

*Husband 1*: How was your evening?

*Husband 2*: Great. I came home, dinner was on the table, I ate & fell asleep. What about you ?

*Husband 1*: It was horrible. I came home, there's no dinner, they cut the electricity because I forgot to pay the bill; so I took her out for dinner which was so expensive that didn't have money left for a cab or auto.We walked home which took an hour & when we got home I remembered there was no electricity so I had to light candles all over the house !!!!!!
--
*MORAL*: _PRESENTATION DOES MATTER...
NO MATTER WHAT THE REALITY IS_ !!!

Chanakya writes-
"If you want to be
Happy with your husband,
Love him Less &
Understand him more !

If you want to be
Happy with your wife,
Love her More &
NEVER try to Understand her !"

*Dedicated to all Married Couple*

तकदीर

   CUTE    LINES                                

             तकदीर :

एक   हसीन   लडकी
राजा  के  दरबार   में
डांस   कर  रही   थी...

( राजा   बहुत   बदसुरत   था )

लडकी   ने   राजा   से   एक
सवाल   की  इजाजत  मांगी
.
राजा   ने  कहा ,
                     ' चलो  पुछो .'
.
लडकी   ने   कहा ,
   'जब    हुस्न   बंट   रहा   था
      तब   आप   कहां  थे..??
.
राजा   ने   गुस्सा   नही  किया
बल्कि
मुस्कुराते   हुवे   कहा
  ~  जब   तुम   हुस्न   की
       लाइन्   में   खडी
       हुस्न    ले   रही   थी , ~
.
~    तो   में
  किस्मत  की   लाइन  में  खडा
             किस्मत  ले  रहा  था
.
          और   आज 
     तुझ  जैसीे   हुस्न   वालीयां
      मेरी  गुलाम   की   तरह
       नाच   रही   है...........
.
इसलीय  शायर  खुब  कहते  है,
.
    " हुस्न   ना   मांग
      नसीब   मांग   ए   दोस्त ,

       हुस्न   वाले   तो
      अक्सर   नसीब   वालों  के
      गुलाम   हुआ   करते   है...

      " जो   भाग्य   में   है ,
        वह   भाग   कर  आएगा,
    
         जो   नहीं   है ,
         वह   आकर   भी
         भाग   जाएगा....!!!!!."

यहाँ   सब   कुछ   बिकता   है ,
दोस्तों  रहना  जरा  संभाल  के,

बेचने  वाले  हवा भी बेच देते है,
      गुब्बारों   में   डाल   के,

        सच   बिकता   है ,
        झूट   बिकता   है,
       बिकती   है   हर   कहानी,

       तीनों  लोक  में  फेला  है ,
       फिर   भी   बिकता   है
       बोतल  में  पानी ,

कभी फूलों की तरह मत जीना,
जिस   दिन  खिलोगे ,
टूट  कर  बिखर्र  जाओगे ,
जीना  है  तो
पत्थर   की   तरह   जियो ;
जिस   दिन   तराशे   गए ,
" भगवान " बन  जाओगे...!!!!

सुनहरे कलर का पेकेट

"प्रेरक कथा"

एक मित्र नेअपनी बीवी की अलमारी खोली और एक सुनहरे कलर का पेकेट निकाला,

उसने कहा कि
"ये कोई साधारण पैकेट नहीं है..!"

उसने पैकेट खोला
और उसमें रखी बेहद खूबसूरत सिल्क की साड़ी और उसके साथ की ज्वेलरी को एकटक देखने लगा।

ये हमने लिया था 8-9 साल पहले, जब हम पहली बार न्युयार्क गए थे,
परन्तु उसने ये कभी पहनी नहीं क्योंकि वह इसे किसी खास मौके पर पहनना चाहती थी,
और इसलिए इसे बचा कर रखा था।

उसने उस पैकेट को भी दूसरे और कपड़ों के साथ अपनी बीवी की अर्थी के पास रख दिया,
उसकी बीवी की मृत्यु अभी अचानक ही हुई थी।

उसने रोते हुए मेरी और देखा और कहा-
किसी भी खास मौके के लिए कभी भी कुछ भी मत बचा के रखना,
जिंदगी का हर एक दिन खास मौका है,
कल का कुछ भरोसा नहीं है।

मुझे लगता है,
उसकी उन बातों ने मेरी जिंदगी बदल दी।

मित्रों अब मैं किसी बात की ज्यादा चिंता नहीं करता,

अब मैं अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताता हूँ,
और काम का कम टेंशन लेता हूँ।

मुझे अब समझ में आ चुका है कि जिंदगी जिंदादिली से जीने का नाम है,
डर-डर के,
रूक-रूक के बहुत ज्यादा विचार करके चलने में समय आगे निकल जाता है,
और हम पिछड़ जाते हैं।

अब मैं कुछ भी बहुत बहुत संभाल-संभाल के नहीं रखता, हर एक चीज़ का बिंदास और भरपूर उपयोग जी भर के करता हूँ।

अब मैं घर के शोकेस में रखी महँगी क्रॉकरी का हर दिन उपयोग करता हूँ..

अगर मुझे पास के सुपर मार्केट में या नज़दीकी माॅल में मूवी देखने नए कपड़े पहन के जाने का मन है,
तो मैं जाता हूँ।

अपने कीमती खास परफ्यूम को विशेष मौकों के लिए संभाल कर बचा के नहीं रखता,
मैं उन्हें जब मर्जी आए तब उपयोग करता हूँ,

'एक दिन'
'किसी दिन'
'कोई ख़ास मौका' जैसे शब्द अब मेरी डिक्शनरी से गुम होते जा रहे हैं..।

अगर कुछ देखने,
सुनने या करने लायक है,
तो मुझे उसे अभी देखना सुनना या करना होता है।

मुझे नहीं पता मेरे दोस्त की बीवी क्या करती,
अगर उसे पता होता कि वह अगली सुबह नहीं देख पाएगी,

शायद वह अपने नज़दीकी रिश्तेदारों और खास दोस्तों को बुलाती।
शायद वह अपने पुराने रूठे हुए दोस्तों से दोस्ती और शांति की बातें करती।

अगर मुझे पता चले
कि मेरा अंतिम समय आ गया है तो क्या मैं,
इन इतनी छोटी-छोटी चीजों को भी नहीं कर पाने के लिए अफसोस करूँगा।

नहीं..

इन सब इच्छाओं को तो
आज ही आराम से पूरा कर सकता हूँ..!

हर दिन,
हर घंटा,
हर मिनट,
हर पल विशेष है,
खास है...बहुत खास है।

प्यारें दोस्तों..!
जिंदगी का लुत्फ उठाइए,
आज में जिंदगी बसर कीजिये।

क्या पता कल हो न हो,
वैसे भी कहते हैं न कल तो कभी आता ही नहीं।

अगर आपको ये मेसेज मिला है,
इसका मतलब है,
कि कोई आपकी परवाह करता है,
केयर करता है,

क्योंकि शायद आप भी किसी की परवाह करते हैं,
ध्यान रखते हैं।

अगर आप
अभी बहुत व्यस्त हैं,
और,
इसे किसी "अपने" को बाद में या,
किसी और दिन भेज देंगे..

तो याद रखिये
कोई और दिन बहुत दूर है,
और शायद कभी आए भी नहीं..।

इसलिये
ज़िन्दगी के हर पल को
जियें जी भर के..॥

Sunday 28 August 2016

WELCOME TO THE 21ST CENTURY

_*WELCOME TO THE 21ST CENTURY!*_

*Our Phones Wireless*
*Cooking -       Fireless*
*Cars -             Keyless*
*Food -             Fatless*
*Tyres -           Tubeless*
*Tools -            Cordless*
*Dress -        Sleeveless*
*Youth -         Jobless*
*Leaders -  Shameless*
*Relationships-Meaningless*
*Attitude -         Careless*
*Wives -            Fearless*
*Babies -         Fatherless*
*Feelings -        Heartless*
*Education -     Valueless*
*Children -    Mannerless*
*PARLIAMENT-CLUELESS*
*MASSES -  HELPLESS*

_*Everything is becoming LESS but still our hope in God is - Endless.*_

In fact I am *Speechless* Because Salvation remains *Priceless!!*

*If u don't share this, I'm wordless!*

Thursday 25 August 2016

JANMASHTAMI

JANMASHTAMI

Janmashtami celebrates the birth of Lord Krishna. Ashtami is significant as it indicates a perfect balance between the seen and the unseen aspects of reality; the visible material world and the invisible spiritual realm.

Krishna’s birth on Ashtami signifies his mastery of both the spiritual and material worlds. He is a great teacher and a spiritual inspiration as well as the consummate politician. On one hand, he is Yogeshwara (the Lord of Yogas — the state to which every yogi aspires) while on the other, he is a mischievous thief.

The unique quality of Krishna is that he is at once more pious than the saints and yet a thorough mischief-monger! His behaviour is a perfect balance of the extremes — perhaps this is why the personality of Krishna is so difficult to fathom. The avdhoot is oblivious to the world outside and a materialistic person, a politician or a king is oblivious to the spiritual world. But Krishna is both Dwarkadheesh and Yogeshwar.

Krishna’s teachings are most relevant to our times in the sense that they neither let you get lost in material pursuits nor make you completely withdrawn. They rekindle your life, from being a burnt-out and stressed personality to a more centred and dynamic one. Krishna teaches us devotion with skill. To celebrate Gokulashtami is to imbibe extremely opposite yet compatible qualities and manifest them in your own life.

Hence the most authentic way of celebrating Janamashtami is knowing that you have to play a dual role — of being a responsible human being on the planet and at the same time to realize that you are above all events, the untouched Brahman. Imbibing a bit of avadhoot and a bit of activism in your life is the real significance of celebrating Janmashtami.

Tuesday 23 August 2016

चाणक्य के 15 अमर वाक्य |

चाणक्य के 15 अमर वाक्य |

1)दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक
और महिला की सुन्दरता है।
2)हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है, यह
कड़वा सच है।
3)अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो।
छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार
दो।
सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो।
आपकी संतति ही आपकी सबसे अच्छी मित्र है।"
4)दूसरों की गलतियों से सीखो
अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी आयु कम
पड़ेगी।
5)किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना
चाहिए।
सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं।
6)अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है
तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे दंश भले ही न
हो
पर दंश दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास
करवाते रहना चाहिए।
7)कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे
पूछो...
मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ?
इसका क्या परिणाम होगा ?
क्या मैं सफल रहूँगा?
8)भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये
इस पर हमला कर दो यानी भय से भागो मत
इसका सामना करो।
9)काम का निष्पादन करो, परिणाम से मत डरो।
10)सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है
पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है।"
11)ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है
अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ।
12)व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है
जन्म से नहीं।
13)ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं
उन्हें दोस्त न बनाओ,
वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे।
समान स्तर के मित्र ही सुखदायक होते हैं।
14)अज्ञानी के लिए किताबें और
अंधे के लिए दर्पण एक समान उपयोगी है।
15)शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है।
शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है।
शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य
दोनों ही कमजोर है
राजा भोज ने कवि कालीदास से दस सर्वश्रेष्ट सवाल किए
1- दुनिया में भगवान की सर्वश्रेष्ठ रचना क्या है?
उत्तर- ''मां''
2- सर्वश्रेष्ठ फूल कौन सा है?
उत्तर- "कपास का फूल"
3- सर्वश्र॓ष्ठ सुगंध कौनसी है
उत्तर- वर्षा से भीगी मिट्टी की सुगंध ।
4-सर्वश्र॓ष्ठ मिठास कौनसी
- "वाणी की"
5- सर्वश्रेष्ठ दूध-
"मां का"
6- सबसे से काला क्या है
"कलंक"
7- सबसे भारी क्या है
"पाप"
8- सबसे सस्ता क्या है
"सलाह"
9- सबसे महंगा क्या है
"सहयोग"
10-सबसे कडवा क्या है
ऊत्तर- "सत्य".
वो डांट कर अपने बच्चो को अकेले मे रोती है,
.
वो माँ है, और माँ एसी ही
होती है ।
जितना बडा प्लाट होता है, उतना बडा बंगला नही होता !! जितना बडा बंगला होता है,उतना बडा दरवाजा नही होता !! जितना बडा दरवाजा होता है ,उतना बडा ताला नही होता !!
जितना बडा ताला होता है , उतनी बडी चाबी नही होती !! परन्तु चाबी पर पुरे बंगले का आधार होता है।
इसी तरह मानव के जीवन मे बंधन और मुक्ति का आधार मन की चाबी पर ही निर्भर होता है।
है मानव....तू सबकुछ कर पर किसी को परेशान मत कर,जो बात समझ न आऐ उस बात मे मत पड़ !
पैसे के अभाव मे जगत 1% दूखी है,समझ के अभाव मे जगत 99% दूखी है !!!

आज का श्रेष्ठ विचार:-
यदि आप धर्म करोगे तो भगवान से आपको माँगना पड़ेगा...,
लेकिन यदि आप कर्म करोगे तो भगवान को देना पड़ेगा..!
किरपा करके पढने के बाद अपने दोस्तों को जरुर भेजे

RELAX...

RELAX...

You relax in an aeroplane though you do not know the pilot,
You relax in a ship though you do not know the captain,
You relax in the train without knowing the motorman,
You relax in the bus not knowing the driver,
why don't you relax in your life while you know that God is its controller?
Trust your lord. He is the best planner

चाणक्य के 15 अमर वाक्य |

चाणक्य के 15 अमर वाक्य |

1)दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक
और महिला की सुन्दरता है।
2)हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है, यह
कड़वा सच है।
3)अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो।
छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार
दो।
सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो।
आपकी संतति ही आपकी सबसे अच्छी मित्र है।"
4)दूसरों की गलतियों से सीखो
अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी आयु कम
पड़ेगी।
5)किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना
चाहिए।
सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं।
6)अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है
तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे दंश भले ही न
हो
पर दंश दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास
करवाते रहना चाहिए।
7)कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे
पूछो...
मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ?
इसका क्या परिणाम होगा ?
क्या मैं सफल रहूँगा?
8)भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये
इस पर हमला कर दो यानी भय से भागो मत
इसका सामना करो।
9)काम का निष्पादन करो, परिणाम से मत डरो।
10)सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है
पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है।"
11)ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है
अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ।
12)व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है
जन्म से नहीं।
13)ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं
उन्हें दोस्त न बनाओ,
वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे।
समान स्तर के मित्र ही सुखदायक होते हैं।
14)अज्ञानी के लिए किताबें और
अंधे के लिए दर्पण एक समान उपयोगी है।
15)शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है।
शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है।
शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य
दोनों ही कमजोर है
राजा भोज ने कवि कालीदास से दस सर्वश्रेष्ट सवाल किए
1- दुनिया में भगवान की सर्वश्रेष्ठ रचना क्या है?
उत्तर- ''मां''
2- सर्वश्रेष्ठ फूल कौन सा है?
उत्तर- "कपास का फूल"
3- सर्वश्र॓ष्ठ सुगंध कौनसी है
उत्तर- वर्षा से भीगी मिट्टी की सुगंध ।
4-सर्वश्र॓ष्ठ मिठास कौनसी
- "वाणी की"
5- सर्वश्रेष्ठ दूध-
"मां का"
6- सबसे से काला क्या है
"कलंक"
7- सबसे भारी क्या है
"पाप"
8- सबसे सस्ता क्या है
"सलाह"
9- सबसे महंगा क्या है
"सहयोग"
10-सबसे कडवा क्या है
ऊत्तर- "सत्य".
वो डांट कर अपने बच्चो को अकेले मे रोती है,
.
वो माँ है, और माँ एसी ही
होती है ।
जितना बडा प्लाट होता है, उतना बडा बंगला नही होता !! जितना बडा बंगला होता है,उतना बडा दरवाजा नही होता !! जितना बडा दरवाजा होता है ,उतना बडा ताला नही होता !!
जितना बडा ताला होता है , उतनी बडी चाबी नही होती !! परन्तु चाबी पर पुरे बंगले का आधार होता है।
इसी तरह मानव के जीवन मे बंधन और मुक्ति का आधार मन की चाबी पर ही निर्भर होता है।
है मानव....तू सबकुछ कर पर किसी को परेशान मत कर,जो बात समझ न आऐ उस बात मे मत पड़ !
पैसे के अभाव मे जगत 1% दूखी है,समझ के अभाव मे जगत 99% दूखी है !!!

आज का श्रेष्ठ विचार:-
यदि आप धर्म करोगे तो भगवान से आपको माँगना पड़ेगा...,
लेकिन यदि आप कर्म करोगे तो भगवान को देना पड़ेगा..!
किरपा करके पढने के बाद अपने दोस्तों को जरुर भेजे

Friday 12 August 2016

बच्चों की नई ज़माने की कविता

भारत का नया गीत

आओ बच्चों तुम्हे दिखायें,
शैतानी शैतान की।
नेताओं से बहुत दुखी है,
जनता हिन्दुस्तान की।।
बड़े-बड़े नेता शामिल हैं,
घोटालों की थाली में।
सूटकेश भर के चलते हैं,
अपने यहाँ दलाली में।।
देश-धर्म की नहीं है चिंता,
चिन्ता निज सन्तान की।
नेताओं से बहुत दुखी है,
जनता हिन्दुस्तान की।।
चोर-लुटेरे भी अब देखो,
सांसद और विधायक हैं।
सुरा-सुन्दरी के प्रेमी ये,
सचमुच के खलनायक हैं।।
भिखमंगों में गिनती कर दी,
भारत देश महान की।
नेताओं से बहुत दुखी है,
जनता हिन्दुस्तान की।।
जनता के आवंटित धन को,
आधा मन्त्री खाते हैं।
बाकी में अफसर-ठेकेदार,
मिलकर मौज उड़ाते हैं।।
लूट-खसोट मचा रखी है,
सरकारी अनुदान की।
नेताओं से बहुत दुखी है,
जनता हिन्दुस्तान की।।
थर्ड क्लास अफसर बन जाता,
फर्स्ट क्लास चपरासी है।
होशियार बच्चों के मन में,
छायी आज उदासी है।।
गंवार सारे मंत्री बन गये,
मेधावी आज खलासी है।
आओ बच्चों तुम्हें दिखायें,
शैतानी शैतान की।।
नेताओं से बहुत दुखी है,.
जनता हिन्दुस्तान की l

Thursday 11 August 2016

मद्य-शास्त्र


"मद्य-शास्त्र"

मदिरापान को हमेशा एक अनुष्ठान या यज्ञ की  भावना में ही लेना चाहिए॥

जैसे गृहस्थ पुरुष यज्ञ रोज ना कर के, केवल कभी कभी ही करते है, वैसे ही मदिरापान भी केवल कुछ शुभ अवसरों पर ही करना उचित है॥

मदिरापान केवल प्रसन्नता की स्थिति में ही करने का विधान है॥

अवसाद की स्थिति में ऐसा यज्ञ करना सर्वथा वर्जित है, और जो इस नियम का उलंघन करता है,पाप का भागी होकर कष्ट  भोगता है ।।

यज्ञ  के लिए सवर्प्रथम शुभ दिन का चयन करे ॥

शुक्रवार, शनिवार और रविवार इसके उपयुक्त दिन है ऐसा शास्त्र में लिखा है किन्तु इसके अतिरिक्त कोई भी अवकाश का दिन भी शुभ  होता है ॥
यद्यपि सप्ताह के अन्य दिनों में यज्ञ करना उचित नहीं है किन्तु अत्यंत प्रसन्नता के अवसरों में किसी भी दिन इस यज्ञ का आयोजन किया जा सकता है , ऐसा भी विधान है ॥

यज्ञ करने का निश्चय करने के बाद समय का निर्धारण करें ॥
सामान्यतः यह यज्ञ सांयकाल या रात्रि में और अधिक से अधिक मध्य रात्रि तक ही करने का विधान है , रात्रि बहुत अधिक  नहीं होनी चाहिए ॥

अपवाद स्वरुप दिन में छोटा सा *'बियर रूपी'* अनुष्ठान किया जा सकता है, किन्तु प्रातःकाल में इस यज्ञ  का करना पूर्णतः वर्जित है ॥

यज्ञ में स्थान का बहुत महत्त्व है, यद्यपि वर्जित तो नहीं है, लेकिन इस यज्ञ को गृह में न करना ही उचित है ॥
इस को करने का सर्वोत्तम स्थल क्लब अथवा *'बार'* या *'अहाता'* नामक पवित्र स्थान होता है ॥
स्थान का चयन करते समय ध्यान दे की वहां  दुष्ट आत्माए यज्ञ  में बाधा ना डाल सकें ॥

ये भी ध्यान रहे की यज्ञ  स्थल विधि सम्मत हो ॥

यज्ञ अकेले ना कर,अन्य साधू जनों की संगत में ही करना ही उचित होता है ॥

अकेले में किये गए यज्ञ से कभी पुण्य नहीं मिलता, बल्कि यज्ञ  करने वाला मद्य- दोष को प्राप्त होकर, *'शराबी'* या *'बेवड़ा '* कहलाता है ॥

प्रसन्न मन से, शुभ क्षेत्र में बैठ कर, साधू जनों की संगत में, मधुर संगीत रुपी मंत्रो के साथ, शास्त्रोचित रूप से किये गए मदिरा पान के यज्ञ को करने वाला साधक, 'टुन्नता' के असीम पुण्य को प्राप्त होता है ॥

मदिरापान के समय, यज्ञ अग्नि से भी अधिक महत्पूर्ण जठरागनी को भी शांत करना अत्यंत आवश्यक है ॥

इसके लिए पर्याप्त मात्रा में भोज्य पदार्थ जिसे 'चखना' की उपाधि दी गयी है, लेकर बैठना ही उचित है। वैसे तो मुर्गा ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है, किन्तु पनीर, काजू, मूंगफली, नमकीन या अपनी  इच्छानुसार कोई भी चखना लिया जा सकता है ॥

कुछ परम साधक तो सिर्फ नमक को ही पर्याप्त मानते हैं ॥

एक अन्य आवश्यक पदार्थ *सिगरेट नामक दंडिका* भी इस यज्ञ का महत्वपूर्ण अव्यव है ॥

जो मूर्ख पुरुष इस अग्नि दंडिका का सम्मान नहीं करते, वे अग्नि के श्राप को प्राप्त हो, अनेक कष्टों को  भोगते है ॥

*'मद्यसूत्रम'* नामक महाकाव्य में इसकी आधुनिक सेवन विधि विस्तार से समझाई गई है, जिसमे सर्वप्रथम खाली गिलास लेकर अपने हाथ सीधे करते हुए उसमे 30 एम् एल मदिरा डालें फिर अपनी स्वेच्छानुसार सोडा या कोल्ड ड्रिंक का थोडा मिश्रण करें फिर अंत में बर्फ के एक दो टुकड़े डालें इसे एक *'पेग'* की उपाधि दी गई है ॥

अब उपस्थित साधकों की संख्या के बराबर ऐसे ही पेग तैयार करें व सब में वितरित करें ॥

इसके बाद एक ऊँगली गिलास में डाल कर बाहर एक दो बूंद छिडकें ॥
यह क्यों किया जाना है, इसका उल्लेख किसी शास्त्र में भी नहीं है ॥

तत्पश्चात सभी भक्तजन अपने ग्लास हाथ में लेकर एक दूसरे के गिलास से हलके से छुएं और  *'चियर्स'*  नामक मन्त्र का ज़ोर से उच्चारण करें ॥

ध्यान रखें यदि इस मन्त्र का उदघोष नहीं हुआ तो आपका पुण्य असंभव है।

परम ज्ञानी स्वामी श्री लंगटाचार्य द्वारा रचित *'मद्य संहिता'*  में कुछ असुरी शक्तियों का भी वर्णन है जो इन साधकों के साथ बैठकर इनके पैसों पर इनके ही मद्य मुद्रासनों का भरपूर आनंद प्राप्त करते हैं ॥
इन्हें *'चखनासुर'* की उपाधि दी गयी है ॥

ये असुर इन यज्ञ साधकों के चखने और कोल्ड ड्रिंक नामक सहायक पेय पदार्थ पर विशिष्ठ निगाह गड़ाए रहते हैं और उसे जल्द से जल्द हड़पने के प्रयास में रहते हैं ॥ कई अवसर पर तो भगवन *'बार देव '*के बिल में इन चखनासुरों का हिस्सा बेचारे साधक से भी अधिक रहता है ॥
बाबा लंगटाचार्य के हिसाब से मद्य प्रेमियों की नज़र में यह निकृष्ट प्राणी दरअसल एक बेहतरीन श्रोता भी होता है जो ऐसा दर्शाता है कि वह उपासक के हर प्रवचन को अपना सर्वस्व समझ कर ग्रहण कर रहा है ॥

ऐसे प्राणी एक और अच्छा कार्य करते हैं कि जब मद्ययज्ञ अपनी आहुति की ओर बढ़ता है और मद्य साधक अपने मद्यश्लोक उच्चारित करता है और 'साले दरुए' की  सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने की ओर अग्रसर होता है तब यही असुर जनता में हाथ जोड़कर आपके लिए अपना मुख सुंघाते हुए माफ़ी मांगता है और आपको उस संकट से निकलने में सहायक सिद्ध होते हैं ॥

इसके अलावा चखनासुर एक और परम धर्म निभाता है कि वो उल्टी होने, नाली में गिरने या अत्यधिक टुन्न मग्न मद्य यज्ञ साधक के चलने फिरने की असमर्थता में उसे घर तक छोड़ कर आता है तथा साधक के परिवारजनों से भरपूर सम्मान भी प्राप्त करता है ॥

इसी कारण से सदा इस यज्ञ में कम से कम एक असुर भी अपने साथ लिये जाने का प्रावधान भी किया गया है ॥

श्री लंगटाचार्य रचित  *"मद्याचरण"*  नामक ग्रन्थ में भी इस यज्ञ का उल्लेख पाया जाता है ॥
उसमे वर्णित है की साधना की उच्च अवस्था प्राप्त करने के इच्छुक मुनिजनों को यज्ञ तब तक करना चाहिए जब तक उच्च स्वर में कुछ परमादरणीय पारिवारिक सम्बन्ध बढ़ाते श्लोक स्वमेव मुख से प्रस्फुटित न होने लगें ॥

उन श्लोकों के पश्च्यात पूर्णाहुति में कुछ मन्त्र वाक्यों का उच्चारण आवश्यक है अन्यथा यज्ञ देवता कुपित होते हैं। कुछ प्रमुख मंत्राचरण निम्नलिखित हैं  :                             
1) आज तो चढ़ ही नहीं रही !!

2)  कल से पीना बंद !!                           
3) आज तो कम पड़ गयी, और मंगाए क्या ??

4) बार बंद होने का टाइम है तो क्या, अभी तो हमने शुरू की है !!

5) ये मत सोचना कि मुझे चढ़ गयी है !!

6) गाड़ी आज हम चलाएंगे !!

7) तुम बोलो कितने पैसे चाहिए ??

8) यार इस ब्रांड की बात ही अलग है !!

9) तू शायद समझ नहीं रहा !!

10) तुम आज से मेरे सब कुछ !!

11) यार तेरे अलावा ये दुनिया मेरे को समझ नहीं पाती !!

12) अब हम गाना गायेंगे !!

13) भाई तेरी स्टोरी ने तो सेंटी कर दिया !!

14) तुम बस बताओ कब चलना है ??

15) तू भाई है मेरा !!

आदि इत्यादि जैसे कुछ मूल मन्त्र हैं जिन्हें उच्चारित किये बिना कोई हवन पूर्ण नहीं होता ॥

तो परम प्रिय बंधुओं, अब संध्या बेला हो चुकी है, आप सभी को मद्य यज्ञ की पूर्ण विधि समझा दी गई है ॥

आशा है कि मद्य पान में अपना यथोचित योगदान देकर मद्य यज्ञ को सफल बनायेंगे और हम जैसे किसी चखासुर को भी अपने सानिध्य का सुअवसर प्रदान करेंगे ......... !!

चियर्स !!!

Sunday 7 August 2016

रोटी

बहुत सुंदर कथा ..
.
एक औरत अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोज़ाना भोजन पकाती थी और एक रोटी वह वहाँ से गुजरने वाले किसी भी भूखे के लिए पकाती थी..।

वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी, जिसे कोई भी ले सकता था..।

एक कुबड़ा व्यक्ति रोज़ उस रोटी को ले जाता और बजाय धन्यवाद देने के अपने रस्ते पर चलता हुआ वह कुछ इस तरह बड़बड़ाता- "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा..।"

दिन गुजरते गए और ये सिलसिला चलता रहा..

वो कुबड़ा रोज रोटी लेके जाता रहा और इन्ही शब्दों को बड़बड़ाता- "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा.।"

वह औरत उसकी इस हरकत से तंग आ गयी और मन ही मन खुद से कहने लगी की- "कितना अजीब व्यक्ति है, एक शब्द धन्यवाद का तो देता नहीं है, और न जाने क्या-क्या बड़बड़ाता रहता है, मतलब क्या है इसका.।"

एक दिन क्रोधित होकर उसने एक निर्णय लिया और बोली- "मैं इस कुबड़े से निजात पाकर रहूंगी.।"

और उसने क्या किया कि उसने उस रोटी में ज़हर मिला दिया जो वो रोज़ उसके लिए बनाती थी, और जैसे ही उसने रोटी को को खिड़की पर रखने कि कोशिश की, कि अचानक उसके हाथ कांपने लगे और रुक गये और वह बोली- "हे भगवन, मैं ये क्या करने जा रही थी.?" और उसने तुरंत उस रोटी को चूल्हे कि आँच में जला दिया..। एक ताज़ा रोटी बनायीं और खिड़की के सहारे रख दी..।

हर रोज़ कि तरह वह कुबड़ा आया और रोटी ले के: "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा" बड़बड़ाता हुआ चला गया..।

इस बात से बिलकुल बेख़बर कि उस महिला के दिमाग में क्या चल रहा है..।

हर रोज़ जब वह महिला खिड़की पर रोटी रखती थी तो वह भगवान से अपने पुत्र कि सलामती और अच्छी सेहत और घर वापसी के लिए प्रार्थना करती थी, जो कि अपने सुन्दर भविष्य के निर्माण के लिए कहीं बाहर गया हुआ था..। महीनों से उसकी कोई ख़बर नहीं थी..।

ठीक उसी शाम को उसके दरवाज़े पर एक दस्तक होती है.. वह दरवाजा खोलती है और भोंचक्की रह जाती है.. अपने बेटे को अपने सामने खड़ा देखती है..।

वह पतला और दुबला हो गया था.. उसके कपडे फटे हुए थे और वह भूखा भी था, भूख से वह कमज़ोर हो गया था..।

जैसे ही उसने अपनी माँ को देखा, उसने कहा- "माँ, यह एक चमत्कार है कि मैं यहाँ हूँ.. आज जब मैं घर से एक मील दूर था, मैं इतना भूखा था कि मैं गिर गया.. मैं मर गया होता..।

लेकिन तभी एक कुबड़ा वहां से गुज़र रहा था.. उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया.. भूख के मरे मेरे प्राण निकल रहे थे.. मैंने उससे खाने को कुछ माँगा.. उसने नि:संकोच अपनी रोटी मुझे यह कह कर दे दी कि- "मैं हर रोज़ यही खाता हूँ, लेकिन आज मुझसे ज़्यादा जरुरत इसकी तुम्हें है.. सो ये लो और अपनी भूख को तृप्त करो.।"

जैसे ही माँ ने उसकी बात सुनी, माँ का चेहरा पीला पड़ गया और अपने आप को सँभालने के लिए उसने दरवाज़े का सहारा लीया..।

उसके मस्तिष्क में वह बात घुमने लगी कि कैसे उसने सुबह रोटी में जहर मिलाया था, अगर उसने वह रोटी आग में जला के नष्ट नहीं की होती तो उसका बेटा उस रोटी को खा लेता और अंजाम होता उसकी मौत..?

और इसके बाद उसे उन शब्दों का मतलब बिलकुल स्पष्ट हो चूका था- "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा.।।

               " निष्कर्ष "
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हमेशा अच्छा करो और अच्छा करने से अपने आप को कभी मत रोको, फिर चाहे उसके लिए उस समय आपकी सराहना या प्रशंसा हो या ना हो..।
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मैं आपसे दावे के साथ कह सकता हूँ कि ये बहुत से लोगों के जीवन को छुएगी व बदलेगी.।
जय जय श्री राधे राधे..