Sunday, 7 August 2016

रोटी

बहुत सुंदर कथा ..
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एक औरत अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोज़ाना भोजन पकाती थी और एक रोटी वह वहाँ से गुजरने वाले किसी भी भूखे के लिए पकाती थी..।

वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी, जिसे कोई भी ले सकता था..।

एक कुबड़ा व्यक्ति रोज़ उस रोटी को ले जाता और बजाय धन्यवाद देने के अपने रस्ते पर चलता हुआ वह कुछ इस तरह बड़बड़ाता- "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा..।"

दिन गुजरते गए और ये सिलसिला चलता रहा..

वो कुबड़ा रोज रोटी लेके जाता रहा और इन्ही शब्दों को बड़बड़ाता- "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा.।"

वह औरत उसकी इस हरकत से तंग आ गयी और मन ही मन खुद से कहने लगी की- "कितना अजीब व्यक्ति है, एक शब्द धन्यवाद का तो देता नहीं है, और न जाने क्या-क्या बड़बड़ाता रहता है, मतलब क्या है इसका.।"

एक दिन क्रोधित होकर उसने एक निर्णय लिया और बोली- "मैं इस कुबड़े से निजात पाकर रहूंगी.।"

और उसने क्या किया कि उसने उस रोटी में ज़हर मिला दिया जो वो रोज़ उसके लिए बनाती थी, और जैसे ही उसने रोटी को को खिड़की पर रखने कि कोशिश की, कि अचानक उसके हाथ कांपने लगे और रुक गये और वह बोली- "हे भगवन, मैं ये क्या करने जा रही थी.?" और उसने तुरंत उस रोटी को चूल्हे कि आँच में जला दिया..। एक ताज़ा रोटी बनायीं और खिड़की के सहारे रख दी..।

हर रोज़ कि तरह वह कुबड़ा आया और रोटी ले के: "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा" बड़बड़ाता हुआ चला गया..।

इस बात से बिलकुल बेख़बर कि उस महिला के दिमाग में क्या चल रहा है..।

हर रोज़ जब वह महिला खिड़की पर रोटी रखती थी तो वह भगवान से अपने पुत्र कि सलामती और अच्छी सेहत और घर वापसी के लिए प्रार्थना करती थी, जो कि अपने सुन्दर भविष्य के निर्माण के लिए कहीं बाहर गया हुआ था..। महीनों से उसकी कोई ख़बर नहीं थी..।

ठीक उसी शाम को उसके दरवाज़े पर एक दस्तक होती है.. वह दरवाजा खोलती है और भोंचक्की रह जाती है.. अपने बेटे को अपने सामने खड़ा देखती है..।

वह पतला और दुबला हो गया था.. उसके कपडे फटे हुए थे और वह भूखा भी था, भूख से वह कमज़ोर हो गया था..।

जैसे ही उसने अपनी माँ को देखा, उसने कहा- "माँ, यह एक चमत्कार है कि मैं यहाँ हूँ.. आज जब मैं घर से एक मील दूर था, मैं इतना भूखा था कि मैं गिर गया.. मैं मर गया होता..।

लेकिन तभी एक कुबड़ा वहां से गुज़र रहा था.. उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया.. भूख के मरे मेरे प्राण निकल रहे थे.. मैंने उससे खाने को कुछ माँगा.. उसने नि:संकोच अपनी रोटी मुझे यह कह कर दे दी कि- "मैं हर रोज़ यही खाता हूँ, लेकिन आज मुझसे ज़्यादा जरुरत इसकी तुम्हें है.. सो ये लो और अपनी भूख को तृप्त करो.।"

जैसे ही माँ ने उसकी बात सुनी, माँ का चेहरा पीला पड़ गया और अपने आप को सँभालने के लिए उसने दरवाज़े का सहारा लीया..।

उसके मस्तिष्क में वह बात घुमने लगी कि कैसे उसने सुबह रोटी में जहर मिलाया था, अगर उसने वह रोटी आग में जला के नष्ट नहीं की होती तो उसका बेटा उस रोटी को खा लेता और अंजाम होता उसकी मौत..?

और इसके बाद उसे उन शब्दों का मतलब बिलकुल स्पष्ट हो चूका था- "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा.।।

               " निष्कर्ष "
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हमेशा अच्छा करो और अच्छा करने से अपने आप को कभी मत रोको, फिर चाहे उसके लिए उस समय आपकी सराहना या प्रशंसा हो या ना हो..।
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मैं आपसे दावे के साथ कह सकता हूँ कि ये बहुत से लोगों के जीवन को छुएगी व बदलेगी.।
जय जय श्री राधे राधे..

Friday, 5 August 2016

घर-बाली

मैं सिया के राम सीरियल देख रहा था....

उसमे "बाली" को देखा कि बाली के सामने जो भी जाता है उसका आधा बल बाली में चला जाता है

मुझे तुरंत याद आया की ऐसा तो बिलकुल मेरे साथ भी होता है

क्योंकि

जैसे ही घरवाली के सामने जाता हूँ

वैसे ही काफी कमजोरी सी लगने लगती है और चक्कर भी आने लगते हैं

ऐसा लगता कि "बाली" कहीं न कहीं इस युग में

"घर-बाली" के रूप में अवतरित हो गये हैं

Tuesday, 2 August 2016

You start dying slowly

```Pablo Neruda,
Spanish poet
Nobel Prize for Literature in 1971
His Poem:

"You start dying slowly"

You start dying slowly ;
if you do not travel,
if you do not read,
If you do not listen to the sounds of life,
If you do not appreciate yourself.
You start dying slowly:

When you kill your self-esteem,
When you do not let others help you.
You start dying slowly ;

If you become a slave of your habits,
Walking everyday on the same paths…
If you do not change your routine,
If you do not wear different colours
Or you do not speak to those you don’t know.
You start dying slowly:

If you avoid to feel passion
And their turbulent emotions;
Those which make your eyes glisten
And your heart beat fast.
You start dying slowly:

If you do not risk what is safe for the uncertain,
If you do not go after a dream,
If you do not allow yourself,
At least once in your lifetime,
To run away.....
You start dying Slowly !!!

Love your life Love yourself...```

Friday, 29 July 2016

पहचान नहीं पाया

ωσмєη ωιll вє ωσмєη...

एक 54 साल की वृद्धा को हृदयाघात हुआ और उनको अस्पताल ले जाया गया।

ऑपरेशन थिएटर में उनको लगभग लगभग मृत्युआ गयी।

भगवान को देख कर उसने पुछा कि क्या मेरा वक़्त पूरा हो गया?

भगवन ने कहा क़ि नहीं अभी तुम्हारे पास 34 साल और है जीने के लिए।

जब औरत ठीक हो गयी तो उसने उसी हॉस्पिटलल में फेस लिफ्ट सर्जरी करायी। अपनी चर्बी निकलवाई और चमडी कसाईं। उसने अपने बाल भी रंगवा लिए। फिर उसको हस्पताल से छुट्टी मिल गयी।

घर आते समय, सड़क पार करते हुये वो ट्रक के नीचे आ गयी और उसका देहांत हो गया।

जब वो भगवान् के सामने पहुची तो उन्होंने पुछा कि भगवान् आपने तो कहा था कि अभी मैं 34 साल जीऊँगी तो आपने मुझे बचाया क्यों नहीं।

भगवान् ने जवाब दिया
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मैं तुम्हे पहचान नहीं पाया।

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और करो मेकअप।

Monday, 25 July 2016

शिक्षकों से सावधान

मास्टर साहब
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वो एक्सप्रेस ट्रेन करीब-करीब खाली ही थी।
मास्टर साहब जिस एसी-3 कोच में बैठे थे, उसमें बहुत कम यात्री थे।
उनके वाले पोर्शन में भी उनके अलावा दूसरा कोई यात्री नहीं था।
तभी एक महिला कोच में उनके वाले पोर्शन में आई और मास्टर साहब से बोली- "मिस्टर, तुम्हारे पास जो भी मालपानी, रुपया, पैसा, सोना, घड़ी, मोबाइल है, सब मुझे सौंप दो। नहीं तो मैं चिल्लाऊँगी कि तुमने मेरे साथ छेड़छाड़ की है।"
मास्टर साहब ने शांति से अपने ब्रीफकेस में से एक कागज निकाला और उस पर लिखा- "मैं मूक-बधिर हूँ। न बोल सकता हूँ और न ही सुन सकता हूँ। तुम्हें जो कुछ कहना है, इस कागज पर लिख दो।"
महिला ने उनसे जो कहा था, वह उस कागज पर लिखकर दे दिया।
मास्टर साहब ने उस कागज को मोड़कर हिफाजत से अपनी जेब में रखा और बोले- "हाँ, अब चिल्लाओ कि मैंने तुम्हारे साथ छेड़छाड़ की है। अब मेरे पास तुम्हारा लिखित बयान है।"
यह सुनते ही महिला वहाँ से यूँ भागी जैसे उसने भूत देख लिया हो !!!!
*(शिक्षकों से सावधान)*

Thursday, 7 July 2016

Review hindi movie/ film sultan

फ़िल्म " सुलतान" - एक जलवा सुलतान सलमान का।


फ़िल्म समीक्षा करने से पहले यह कहना पड़ेगा की सलमान और " ईद " हर जगह रौनक लेकर आते है। " ईद मुबारक" सबको और बधाईया " टीम सुलतान " को। फ़िल्म हिट होनी है और होकर रहेगी ,बस मसला है कि क्या " प्रेम रतन धन पायो" के कलेक्शन को क्रॉस करेगी या नहीं? 

फ़िल्म सलमान की छवि को भुनाने के लिए भारतीय बेसिक्स यानी कुश्ती, पतंग लूटने , गधे पर बैठने , धोबी पछाड़ और जीतने पर भी हाथ जोड़ने जेसे एलिमेंट को लेकर बनाई गई हैं।

फ़िल्म की शुरुआत बड़ी संजीदा हैं। यशराज फिल्म्स  हिट फिल्म्स देने में मास्टर्स है और उनकी ताक़त म्यूज़िक है। फ़िल्म की शुरुआत के गाने से ही फ़िल्म को हरियाणा पंजाब का बाना पहना दिया और फ़िल्म को दर्शनीय भी बनाया हैं। फ़िल्म के गाने "बेबी को बेस पसन्द है " हिट होना ही होना हैं। गाना " दिल मेरा "  में संगीत के सुर  ठीक है जनता इसको लाइक करेगी। गाना  "जग्ग घुमाया थारे जैसा ना कोई " लम्बा चलेगा। 

फ़िल्म की कहानी पुरानी है, बहुत मर्तबा आजमाई हुई है। कथानक चुस्त और फिल्मांकन शानदार है। फ़िल्म एक सीधे साधे युवा की है जो प्रेम में पड़कर पहलवान और जिंदगी से टकराकर एक इंसान बनता है। 

सलमान ने बहुत सुंदरता से हरियाणवी डाइलेक्ट को अपनाया हैं। आप बस यह मान ले की सुपर स्टार सलमान ने इस फ़िल्म के लिए बहुत कठोर मेहतन की है। सलमान को फ़िल्म की सफलता का पूरा क्रेडिट है। अनुष्का शानदार है, वो अभिनय को जिंदगी मानती है और फ़िल्म में अपने सामान्य किरदार को विशेष बनाना उनको आता है। रणदीप हुड्डा ने अपनी चमक बिखेरी है। 

आइये। फ़िल्म के काफी संवाद देखे।

1. के ताऊ, तेरी डिस्क पुराणी पण चैनल टन्नै।

2. जो काम बढ़िया लागे ना उसको करने में टेम नहीं लगाना।

3. जाने तुझ जेसे लड़को को क्या बोले। सिटीगाय।

4. अपनी बेबी को तो बेस पसन्द हैं।

5. उसको ऑडियो को तेज वोल्यूम पसन्द हैं।

6. लागे नहीं है भाई, ये तो गाली ही हैं।

7. इसकी खातिर अब सुलतान पहलवान बनेगा।

8. जानना क्या है? सामने वाले को पकड़ना है और निचे पटकना हैं।

9. उस्तादजी, मैं शाहरुख़ खान की बड़ी इज़्ज़त करू।

10. तन्ने देख के आज पक्का यकीन हो गया कि इंसान बांदर से ही पैदा हुआ हैं।

11 बेटी को जलाओगे तो बहु कहाँ से लाओगे।

12. तू बाहर से मोर्डेन, अंदर से देसी, टच हो गया में।

13. जानता है किससे होता है प्यार? जिसकी तुम इज़्ज़त कर सको।

14. किसान और पहलवान में एक ही चीज कॉमन होवे और वो है माटी।

15. तुम से तब कोई जीतेगा जब तुम भीतर से हार जाओ।

16. ये लड़ाई है दुनिया को अपनी औकात बताने की।

17. आज सुलतान " सुलतान तेरी वजह से तो बना हैं।

18. अरे। लुगाई बेहोश हो गई और डॉक्टर ने खाने है लड्डू।

19. आज से पहले सुलतान भी तो नहीं था।

20. मैने तुझे इज़्ज़त कमाने को कहा था तू गरूर कमा लाया।

21. इसी जद्दोजहद मे है कि खुद को माफ़ कर सके।

22. ऐसी जगह लड़ो ना जहा लड़ने का कोई फायदा है।

23. ऊपर अल्लाह नीचे धरती बीच में तेरा जनून।

24. असली पहलवान की पहचान अखाड़े में नहीं जिंदगी में होवे।

25. आज के बाद ना मिले तो कहा सुना माफ़।

26. ऐ पहलवान। सुलतान। कर दे चढ़ाई।

27. इसमें जुडो, कराटे, लात, बॉक्सिंग और रापट सब चलता हैं।

28. तुझे इसमें एक थका हारा आदमी नज़र आएगा

29. मन्ने पहलवानी जरूर छोड़ी पर लड़ना नहीं चोद।

30. रेसलर है ना तू, तेरी जान तेरे पेरो में हैं।

31. हीरो वो होता है जो हारता है क्योकि वोही जानता है कि जीत की वेल्यु क्या हैं।

32. हिंदुस्तान मिट्टी का देश है, मिट्टी में हाथ डाला तो सुलतान निकला।

33. हमारे यहाँ डाइवोर्स नहीं लड़ाई होती है।

34. आप मीडिया वाले हो पहले आप ही ने गिराया, चाहे तो वापस उठा लो।

35. गलती तो खुद खुदा भी माफ़ करता हैं।

36. ये सुलतान का दाव है, वो फाइटर अब नहीं उठेगा।

37. जब तेरे साथ आया था तो लगता था कि one losses is backing another.

38. मेडम हमारे यहाँ इश्क़ की एक्सपाइरी डेट नहीं होती।

39. सर्दियो में गालो की लाली जैसी हो तुम।

40. जिंदगी में इज़्ज़त पाने के लिए बहुत बार बेज्जती उठानी पड़ती ह्रीं।

अब लाख टके का सवाल, फ़िल्म कैसी है? जवाब है कि शानदार है। आप सिनेमा हाल में जाइए और आनंद लीजिये।


 

Saturday, 2 July 2016

तुलसी कौन थी?

*तुलसी कौन थी?*

तुलसी एक लड़की थी जिसका नाम
वृंदा था राक्षस कुल में उसका जन्म हुआ था बचपन से ही भगवान विष्णु
जी की भक्त थी.बड़े ही प्रेम से भगवान की सेवा,पूजा किया करती थी.जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षसकुल में दानव राज जलंधर से हो गया। जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ
था.
वृंदा बड़ी ही पतिव्रता स्त्री थी सदा अपने पति की सेवा किया करती थी.
एक बार देवताओ और दानवों में युद्ध हुआ जब जलंधर युद्ध पर जाने लगे तो वृंदा ने कहा -
स्वामी आप युद्ध पर जा रहे है आप
जब तक युद्ध में रहेगे में पूजा में बैठकर आपकी जीत के लिये
अनुष्ठान करुगी,और जब तक आप
वापस नहीं आ जाते में अपना संकल्प
नही छोडूगी। जलंधर तो युद्ध में चले गये,और वृंदा व्रत का संकल्प लेकर
पूजा में बैठ गयी,उनके व्रत के प्रभाव
से देवता भी जलंधर को ना जीत सके सारे देवता जब हारने लगे तो भगवान विष्णु जी के पास गये।

सबने भगवान से प्रार्थना की तो भगवान कहने लगे कि – वृंदा मेरी परम भक्त है में उसके साथ छल नहीं कर सकता ।
फिर देवता बोले - भगवान दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं है अब आप
ही हमारी मदद कर सकते है।

भगवान ने जलंधर का ही रूप रखा और वृंदा के महल में पँहुच गये जैसे
ही वृंदा ने अपने पति को देखा, वे तुरंत पूजा मे से उठ गई और उनके चरणों को छू लिए,जैसे ही उनका संकल्प टूटा,युद्ध में देवताओ ने जलंधर को मार दिया और उसका सिर काटकर अलग कर दिया,उनका सिर वृंदा के महल में गिरा जब वृंदा ने
देखा कि मेरे पति का सिर तो कटा पडा है तो फिर ये जो मेरे सामने खड़े है ये कौन है?

उन्होंने पूँछा - आप कौन हो जिसका स्पर्श मैने किया, तब भगवान अपने रूप में आ गये पर वे कुछ ना बोल सके,वृंदा सारी बात समझ गई, उन्होंने भगवान को श्राप दे दिया आप पत्थर के हो जाओ,भगवान तुंरत पत्थर के हो गये।

सभी देवता हाहाकार करने लगे
लक्ष्मी जी रोने लगे और
प्रार्थना करने लगे यब वृंदा जी ने भगवान को वापस वैसा ही कर दिया और अपने पति का सिर लेकर वे
सती हो गयी।

उनकी राख से एक पौधा निकला तब
भगवान विष्णु जी ने कहा –आज से
इनका नाम तुलसी है,और मेरा एक रूप इस पत्थर के रूप में रहेगा जिसे शालिग्राम के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जायेगा और में
बिना तुलसी जी के भोग
स्वीकार नहीं करुगा। तब से
तुलसी जी कि पूजा सभी करने
लगे। और तुलसी जी का विवाह
शालिग्राम जी के साथ कार्तिक मास में
किया जाता है.देव-उठावनी एकादशी के दिन इसे तुलसी विवाह के रूप में
मनाया जाता है !