Tuesday, 29 September 2015

पैरागॉन  की चप्पल

रंग से गोरी न थी

लेकिन सुन्दर थी

बहोत ऊँची न थी

लेकिन मेरे लिए योग्य थी

प्रेम देने वाली न सही

मेरे कदमो से कदम मिलाती थी

मंदिर आने से इनकार करती थी

लेकिन बाहर मेरा इंतजार करती थी

कही भी जाओ मेरे लिए रुक जाती थी

वो
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मेरी पैरागॉन  की चप्पल थी

कोई चुराके ले गया भाई।

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