एक लड़की से मैने पुछा:- बहन तुमने यह Artificial Ear Rings, Locket aur Ring क्यों पहनी है। तुम्हारे Branded कपड़ो से तो तुम गरीब नहीं लग रही।
लड़की बोली:- भाई आज कल असली गहने पहनने का जमाना नहीं, गली गली चोर घुम रहे है। घरवाले पुलिस वाले हर कोई मना करता है असली पहनने को।
मैने पूछा बहन पर कोई तुम्हें ऐसा करने से कैसे रोक सकता है, जबकी यह तुम्हारा अधिकार(Rights) है। कानून भी तुम्हे ऐसा करने से नहीं रोक सकता। फिर तुम पर ऐसी पाबंदी क्यों?
लड़की बोली:- तुम पागल तो नही हो गए। आज कल गली गली चोर बदमाश घूम रहे है, क्या मैं इतने कीमती जवाहर ऐसे ही लुटवाती रहूँ। अधिकार(Rights) तो तुम्हे याद है पर कर्तव्य (Duty) भूल गए।
मैने बोला:- बहन मै तुम्हे यही बताना चाहता था। तुम्हारे शरीर/तुम्हारी इज्जत से कीमती गहना कोई नहीं। सोने चांदी हीरे के गहने तो तुम छुपा कर रखती हो पर अनमोल गहने की तुम नुमाइश कर रही ही।
जबकी तुम्हे भी पता है गली गली दरिंदे हैवान घूम रहे है। छोटे कपड़े पहनना तुम्हारा अधिकार(Rights) है, पर जैसे तुम सोना चांदी के गहनों को संभालना अपना कर्तव्य (Duty) समझती हो वैसे ही इज्जत को पर्दे में रखना तुम्हारा कर्तव्य (Duty) है। चोर हो या बलात्कारी उन्हें शिक्षा/संस्कार/इज्जत से कुछ लेना देना नहीं। हमें खुद ही संभाल कर चलना पड़ेगा।
अपनी आँखों पर से पश्चिमी सभ्यता (Western Culture) का चश्मा उतारना होगा। नारी के जरा से वस्त्र खींच लेने मात्र पर " महाभारत " लड़ने वाले आज देश की दुर्दशा देखिये.....!
" आज उसी नारी को दुपट्टा लेने को बोल दो तो " महाभारत" हो जाती है।
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